टेक्नोलॉजी

डार्क नेट क्या है ? डार्क नेट का इस्तेमाल इतना खतरनाक क्यू है !

इंटरनेट को हम जितना साधारण समझते है उतना है नहीं बल्कि उससे कई ज्यादा उलझा हुआ हैं। इंटरनेट और वेब को 3 हिस्सों में बाटा गया हैं सरफेस वेब (Surface web),  डीप वेब (Deep web) और डार्क वेब (Dark web ) या डार्क नेट (Dark Net).

सरफेस वेब: –  आमतौर पर हम और आप प्रतिदिन इंटरनेट के जिस भाग का इस्तेमाल करते है वह सरफेस वेब होता हैं और  जितना हम इंटरनेट पर  एक्सेस करते हैं या कर सकते है वह पुरे इंटरनेट का सिर्फ 4 प्रतिशत होता हैं यानि जो कुछ भी आप गूगल यूट्यूब, बिंगो, फ़ायरफ़ॉक्स, याहू पर सर्च करते है और जितना कंटेंट आप लाखो वेबसाइट पर देखते हैं वह सब इस 4% में ही आता हैं। इन वेबसाइट या लिंक को खोलने के लिए किसी खास सॉफ्टवेयर या कॉन्फ़िगरेशन की जरुरत नहीं होती और न ही किसी पेर्मिशन की आवशकता होती हैं ।

डीप वेब :- यह इंटरनेट का वह भाग हैं जो सर्च इंजन से छुपा हुआ होता हैं। इसमें ऐसे लिंक और वेबसाइट होती हैं  जो आपको गूगल या दूसरे सर्च इंजन पर नहीं मिलेगी जैसे बैंक डिटेल, कंपनियों का निजी डाटा, सरकारी निजी डाटा आदि इन वेबसाइट  और लिंक या पेज को बिना अनुमति के नहीं देखा जा सकता और इनको एक्सेस करने के  लिए आपके पास अलग से लिंक, लॉग इन आई डी और पासवर्ड होना चाहिए जैसे फेसबुक, जीमेल पर बिना आई और पासवर्ड के लॉगिन नहीं कर सकते ठीक इसी तरह इसमें भी आप बिना आई पासवर्ड के एक्सेस नहीं कर सकते ।

डार्कनेट ( डार्क वेब ) क्या हैं ?

डार्कनेट को हम डार्कवेब भी कहते हैं और इसे हम साधारण ब्राउज़र  जैसे गूगल, फ़ायरफ़ॉक्स आदि से एक्सेस नहीं कर सकते। डार्कनेट इंटरनेट के वर्ल्ड वाइड वेब का ही एक हिस्सा है और यह कोई छोटा हिस्सा नहीं बल्कि इंटरनेट का 96% हिस्सा डार्कनेट है। सरफेस वेब के मुकाबले डार्क वेब बहुत बड़ा हैं और इसका आकार लगातार बढ़ता जा रहा हैं 2001 में की गई यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलाफोनिया  के रिसर्च के मुताबिक डार्क वेब पर करीब 7,500 टेराबाइट, की इनफार्मेशन उपलब्ध हैं जबकि सरफेस वेब पर ये इनफार्मेशन सारी उपलब्ध सुचना मिलाकर करीब 19 टेराबाइट की हैं मतलब इसमें करीब 400 गुना ज्यादा इनफार्मेशन हैं और अगले 2 सालो में ये हजारो गुना बढ़ गई । ऐसे ही डार्क वेब की सिर्फ 60 सबसे बड़ी वेबसाइट पुरे सरफेस वेब से 40 गुना ज्यादा बढ़ी हैं  यानि डार्क वेब की सिर्फ 60 साइट पर आपके और हमारे इंटरनेट से 40 गुना ज्यादा कंटेंट मौजूद हैं। जब आप इंटरनेट पर कुछ सर्च करते है तो आप सिर्फ पुरे वेब का 0.03% ही सर्च करते हैं इससे हम अंदाज़ा लगा सकते हैं की डार्क वेब कितना बड़ा हैं।

डार्क नेट पर क्या होता हैं ?

डार्कनेट पर उपलब्ध साइट के IP को तोर (tor) एन्क्रिप्शन टूल के माध्यम से एन्क्रिप्ट कर दिया जाता हैं और इन छुपी हुई साइट और लिंक तक पहुंचने के लिए Tor ब्राउज़र का इस्तेमाल किया जाता हैं। ये हैकर की मनपसंदीदा जगह होती है जहा वह हर तरह के गैर कानून काम जैसे हथियारों का लेनदेन, फर्जी पासपोर्ट, नकली पैसे, ड्रग्स, मानव तस्करी या चोरी किये गए क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड आदि का लेने देन करते हैं। कुछ समय पहले एक रिपोर्ट आई थी की भारतीय लोगो के करीब 13 लाख क्रेडिट और डेबिट कार्ड की डिटेल्स डार्क वेब पर मौजूद हैं और ये डाटा 100 डॉलर/ कार्ड की कीमत पर बेकि जाती हैं। यहां पर क्रिमिनल अपनी वो हर हथियार खरीद पाते है जो उन्हें कही नहीं मिल पाती। इसके अलावा डार्कनेट की वेबसाइट के डोमेन पर .com या .in आदि कुछ नहीं होता बल्कि इसमें .onion  लिखा होता हैं डार्कवेब एक ऐसी वर्चुअल दुनिया है जिससे आप दूर ही रहे तो बेहतर होगा ।

डार्क नेट

डार्क नेट खारतक क्यों हैं ?

आपको बता दे तो डार्कनेट हैकर का एक ऐसा समुन्दर है जहाँ हैकर शिकार करने को हर वक़्त तैयार रहते हैं और किसी भी वक़्त आपका डाटा हैक कर सकते हैं  इसलिए इसका उपयोग बहुत ही सावधानी से करें और ध्यान रखें की डार्कनेट द्वारा भेजी हुई फाइल आदि को न खोले ।

  • डार्कनेट से कई तरह के वायरस आपके डिवाइस के डाटा को चोरी कर सकते है इसलिए ध्यान रखें की डार्क वेब की किसी भी फाइल को डाउनलोड न करें ।
  • डार्कनेट के द्वारा हैकर आपके मोबाइल लैपटॉप आदि डिवाइस के कमरे को हैक करके आपकी वीडियो भी बना सकते है और वीडियो वायरल कर सकते हैं
  • सकाम का खतरा आपको ऐसी कई वेबसाइट देखने को मिलेंगी जो  दिखने में तो एकदम असली की तरह होगी लेकिन वे क्लोन साइट होती है और वह आपसे पैसे लूट कर धोका दे सकती हैं ।
  • यहा आपको कुछ खतरनाक ब्लॉग, वीडियो फोटोज देखने को भी मिल सकते है जो जानवरो की हत्या, क्रूरता पूर्वक घटनाओ, चाइल्ड पोनोग्राफी आदि हो ।

डार्क वेब का निर्माण किसने किया ?

डार्कनेट अनियन राउटिंग (Onion Routing) पर काम करती हैं जिसे अमेरिका ने अपनी नेवी के लिए 1990 में डेवेलोप किया था और इसका इस्तेमाल अमेरिकन सरकार अपनी निजी दस्तावेज और सुचना भेजने के लिए किया करती थी ताकि उनको हैक या लीक होने से बचाया जा सके और इसके लिए अलग से निर्धारित ब्राउज़र भी बनाया गया था जो अनियन राउटिंग टेक्निक पर चलता हैं अब आप सोच रहे होंगे की इसका नाम अनियन ही क्यों रखा गया तो इसका नाम अनियन यानि प्याज पर इसलिए रखा गया क्यूंकि जिस प्रकार प्याज में काफी सारी लेयर होती हैं ठीक उसी तरह इस निर्धारित ब्राउज़र पर भी जो मैसेज भेजे जाते हैं वो भेजने वाले का ip एड्रेस कई लेयर में एन्क्रिप्ट किया गया  होता हैं । डार्कनेट पर डाटा बहुत सारे vps और वेब पर बाउंस होकर पहुँचता हैं जिसकी वजह से यूजर और वेबसाइट दोनों छुपे हुए रहते हैं । वेब नेट को एक्सेस करने के लिए एनोरमीटी चाहिए होती हैं ।

डार्क नेट का USE कैसे करें ?

दोस्तों  डार्क नेट का उपयोग करना पूरी तरह से गैर क़ानूनी हैं इसलिए इसके इस्तेमाल करने से बचे।

 

 

 

Pallavi

Pallavi is a young dynamic tech geek at TBH. She is currently the person behind our social media. She likes to write and talk about Smartphones, Android, Tech News and more. You can find her on social media or Scrolling Tech News when she is not writing.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *