3D प्रिंटिंग क्या है ? और ये कैसे काम करता है ?
नमस्कार दोस्तों आप सभी का Tech Blog Hindi में हार्दिक स्वागत है। इस बढ़ती टेक्नोलॉजी के दौर में जहाँ हर दिन एक नई टेक्नोलॉजी का विकास हो रहा है और चीज़ो को और भी एडवांस होते देखा जा रहा है वही हमारे प्रिंटिंग की दुनिया में भी एक नया बदलाव देखने को मिल रहा है जी हाँ दोस्तों जहाँ पहले सिर्फ एक 2D प्रिंटिंग का चलन था, जिसे हम सिर्फ एक साइड से देख पाते थे । वही आज के इस एडवांस टेक्नोलॉजी ने 3D प्रिंटिंग का भी विकास कर दिया है जो की हमारे हर क्षेत्र में बहुत ही फायदेमंद साबित हो रही है । तो चलिए जानते है आज इस ब्लॉग के माध्यम से की यह 3D प्रिंटिंग क्या है और कैसे काम करती है साथ ही इससे जुड़ी कई आवश्यक बातें:-
3D प्रिंटिंग क्या है ?
जब किसी भी चीज़ की प्रिंटिंग या फोटोकॉपी होती है तो वह एक साधारण तरीके से प्रिंट होकर निकल जाती है, लेकिन 3D प्रिंटिंग एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो सीधा ऑब्जेक्ट की प्रिंटिंग करता है यानि इसमें आपको हकीकत जैसे दिखने वाली चीज़े प्रिंट करके देखने को मिलेंगी। अभी तक हम लोग जिस प्रिंटर का इस्तेमाल करते आये है, उनसे सिर्फ 2D प्रिंटिंग होती रही है । लेकिन 3D प्रिंटिंग का उपयोग मेडिकल, इंजीनियरिंग , एजुकेशन, आदि हर जगह पर किया जा सकता है। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है की यह कितना ज्यादा बड़ा हो गया है । यह 2D से काफी ज्यादा एडवांस है। 3D का फुलफॉर्म 3 डाइमेंशिअल (3 Dimensional) होता है । जहाँ हम 2D मॉडल को सिर्फ सामने से देख सकते हैं वही हम 3D मॉडल को चारो तरफ से देख सकते हैं जैसे आपने कई 3D गेम और पिक्चर भी देखि होगी ।
3D प्रिंटिंग कैसे काम करता है ?
3D प्रिंटिंग ऑब्जेक्ट को बनाने के लिए Additive Processes का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए 3D प्रिंटर को Additive Processes के नाम से भी जाना जाता है। इस Additive Processes को बनाने के लिए मटेरियल को successive layer में एक के ऊपर एक कर के रखा जाता है और तबतक रखा जाता है जब तक की वो बन ना जाए और आप इसकी हर एक लेयर को देख भी सकते है। एक 3D Sliced Horizontal Cross section के तौर पर उस इवेंचुअल ऑब्जेक्ट को आप आखिर में जो भी बनाना चाहे वो बना सकते है। 3D प्रिंटिंग Subtractive Manufacturing के बिलकुल विपरीत होती है जहाँ एक एक ऑब्जेक्ट को धीरे धीरे छोटे टुकड़ो में काटा जाता है और फिर एक मिली मशीन के सहायता से इन सब को जोड़ा जाता है।
3D प्रिंटिंग आपको बहुत ही काम्प्लेक्स शेप बनाने में मदद करती है जो की traditional manufacturing method से कर पाना बहुत ही मुश्किल था और बात करे सामान की तो इसके लिए बहुत ही कम सामान की जरूरत पड़ती है और इन ऑब्जेक्ट को 3D प्रिंटर की मदद से प्रिंट किया जाता है।
इन प्रिंटर पर आम तौर पर Plastic, Nylon, Epoxy Resins का इस्तेमाल फ्यूल के रूप में किया जाता है। एक टिपिकल 3D प्रिंट की शुरुवात आपके कंप्यूटर से होती है जब आप एक 3D मॉडल अपने कंप्यूटर में बनाते है तो यह आपके कंप्यूटर में एक catfile के रूप में एक डिजिटल डिज़ाइन होता है। एक 3D मॉडल को या तो क्रिएट किया जाता है या फिर एक 3D स्कैनर के जनरेटेड डाटा से निचे से ऊपर की और स्कैन करके क्रिएट किया जाता है और इस पुरे प्रोसेस को 3 मुख्या भागो में बांटा गया हैं जिसमे से पहला
3D Scanning: – इसमे एक हकीकत के ऑब्जेक्ट या वातावरण को एनालाइज़ किया जाता है और उनके शेप और अपीयरेंस का डाटा कलेक्ट करने के लिए उन्हें स्कैन किया जाता है फिर इसी कलेक्टेड डाटा से प्रिंटिंग के लिए डिजिटल 3D मॉडल क्रिएट किये जाते हैं।
3D Modeling: – 3D मॉडलिंग उस प्रोसेस को कहा जाता है जिसकी मदद से किसी ऑब्जेक्ट के सरफेस की 3 डाइमेंशियन में मैथमैटिकल रिप्रजेंटेशन बनाई जाती है यह एक स्पेशलाइज्ड सॉफ्टवेयर में किया जाता है इन 3D मॉडलिंग सॉफ्टवेयर को हमेसा यूजर इंडस्ट्री जैसे Aerospace Transportation Furniture design और Fabric आदि की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाया जाता हैं। इनमे जो प्रोडक्ट बनाये जाते है उन्हें 3D मॉडल कहा जाता हैं और जो लोग इन 3D मॉडल पर काम करते है उन्हें 3D Artist कहते है।
Slicing:- Slicing एक 3D मॉडल को कई हजारो हॉरिजॉन्टल लेयर में डिवाइड कर देता है। एक 3D फाइल को स्लाइस करने के लिए एक स्लिकिंग सॉफ्टवेयर की भी जरुरत पड़ती है और जब आपका 3D मॉडल स्लाइस हो जाता है तो आप उसे 3D प्रिंटर में फीड करने के लिए तैयार हो जाते हैं और अपने आँखों के सामने इस प्रोसेस को होते हुए भी देख सकते है।
3D प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी की शुरुवात कब हुई थी और इसका उपयोग कहा किया जा रहा है ?
सन 1983 में चार्ल्स हल ने एक छोटा सा कला आईवाश कप को 3D प्रिंट किया था और यह दुनिया की पहली प्रिंटेड चीज़ थी फिर उन्होंने 1986 में अमेरिका के साउथ कोरिया कैरोलिनामें में स्टीरियोलिथोग्राफी को प्रिंटेड करवाया और एक 3D सिस्टम बनाया। इन्हे फादर ऑफ़ 3D प्रिंटिंग भी कहा जाता है। 3D प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी की शुरुवात तो 1986 में ही हो चुकी थी लेकिन इंजीनियरिंग मैन्युफैक्चरिंग और आर्किटेक्चर की दुनिया के बहार ये टेक्नोलॉजी ज्यादा प्रसिद्ध नहीं थी लेकिन अब 3D प्रिंटिंग बहुत तेज़ी से फैलता हुआ नज़र आ रहा है और यह प्रिंटिंग मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री पर अपना सबसे ज्यादा प्रभाव डाल रही है लेकिन इसका इस्तेमाल पर्यावरणीय उद्देश्यों के लिए स्वस्थ्य और चिकित्सा में सरकार और सेना द्वारा विमान, एयरोस्पेस इंडस्ट्री, रोबोटिक, और शिक्षा में भी किया जा रहा हैं।
3D सॉफ्टवेयर कौन कौन से हैं ?
जैसे की हमे 3D प्रिंट करने के लिए 3D मॉडल को क्रिएट करना होता है और इनको क्रिएट करने के लिए हम 3D सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते है तो चलिए जानते है कौन कौन से 3D सॉफ्टवेयर है जिनसे हम 3D डिज़ाइन बना सकते हैं :-
AutoCAD :- यह एक 2D और 3D मॉडल व ड्राफ्ट डिज़ाइन सॉफ्टवेयर है इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल अधिकतर आर्किटेक्चर कंस्ट्रक्शन और मैन्युफैक्चरिंग में ब्लू प्रिंट तैयार करने के लिए किया जाता है।
Blender :- ब्लेंडर, 3D एनीमेशन और डिजाइनिंग के लिए एक फायदेमंद सॉफ्टवेयर और यह एक मुफ्त सॉफ्टवेयर है इसका इस्तेमाल करने के लिए आपको पैसे नहीं जमा करने पड़ते और इसका बहुत ही आसान तरीके से उपयोग किया जा सकता है।
Sketchup :- इस सॉफ्टवेयर को गूगल ने सन 2000 में लांच किया था और यह एक आकर्षित 3D डिज़ाइन टूल है जिसमे आपको किसी भी तरह के ग्राफ़िक कार्ड को लगाने की भी जरुरत नहीं होती और आप इसको बड़ी ही आसानी से मुफ्त में डाउनलोड करके इस्तेमाल कर सकते हैं इसके लिए आपको किसी भी तरह के पैसे नहीं देने होते है।
AutoDesk Maya :- यह 3D मॉडलिंग और गेम आदि के लिए यह एक बेहतरीन सॉफ्टवेयर साबित हो सकता है इसमें 3D मॉडल को बनाने के लिए सभी आवशयक टूल मौजूद है।
Autodesk 3Ds Max :- यह एक ऑटोडेस्क का ही सॉफ्टवेयर है और इस सॉफ्टवेयर को ज्यादातर मॉडलिंग, विजुअलाइज़ेशन, आर्किटेक्चरल के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने के लिए आपको इसका सब्सक्रिप्शन लेना होता है और यह एक पेड सॉफ्टवेयर यही
3D प्रिंटिंग के क्या फायदे हैं ?
Easy Accessible :- 3D प्रिंटर जहाँ पहले सिर्फ कुछ जगह पर ही मौजूद था वही अब इसके बढ़ते चलन को देखते हुए यह बहुत आसानी से बाज़ारो में देखने को मिलता हैं जिससे कोई भी व्यक्ति इसे खरीद सकता है।
Cost :- अगर बात करे इसके कीमत की तो यह छोटे उद्योगों के लिए महंगा हो सकता है और इसमें अधिक लागत की आवश्यकता होती है क्यूंकि इन्हे चलने के लिए अनुभवी मशीन ऑपरेटर और तकनीशियनों की जरुरत होती है।
Better Quality :- यह बाकि प्रिंटर के मुकाबले बहुत ही अच्छी क्वालिटी के ऑब्जेक्ट को डिज़ाइन करता है साथ ही उसके कलर और फिनिशिंग में भी किसी प्रकार की कमी नहीं आने देता।
Faster Production :- अगर इसकी स्पीड की बात करे तो जैसे की यह बाकि प्रिंटर के मुताबिक काफी एडवांस है वैसे ही इसकी स्पीड भी बाकि से काफी तेज़ है और इसकी स्पीड को आप रैपिड़ प्रोटो टाइपिंग बह के सकते हो।
आशा करते है आपको हमारा ये ब्लॉग “3D प्रिंटिंग क्या है ?” पसंद आया होगा, यदि आप इस विषय से जुड़ी किसी भी चीज़ के बारे में अपने विचार साँझा करना चाहते है तो आप निचे कमेंट बॉक्स पर कमेंट करें।
Nice technology..
Thanks sir..
Nice article