ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है
दोस्तों आज हम इस पोस्ट में ब्लॉकचेन क बारें में जानेंगे जैसे की आप लोग जानते है आजकल के इस डिजिटल युग में हमारा लेन देन का अंजाम सेंट्रलाइज्ड और डिसेंट्रलाइज़्ड हो गया हैं अब घर बैठे दुनिया के किसी भी वेबसाइट से सामान ले सकते है और क्रेडिट या डेबिट कार्ड के जरिये मिनटों में ट्रांज़ैक्शन कर सकते हैं इसी प्रकार आप ब्लॉकचेन को भी इंटरनेशनल ट्रांज़ैक्शन सर्विस भी बोल सकते है जिसके माध्यम से जिसके माध्यम से आप दुनियाभर में पेमेंट भेज भी सकते हैं और रिसीव भी कर सकते हैं । ब्लॉकचेन एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को बिटकॉइन भेजने में मदद करती हैं पर अब आप ये सोच रहे होंगे की एक दूसरे को पैसे भेजने के लिए तो बैंक और ऑनलाइन पेमेंट जैसे कई ऑप्शन हैं जिनके माधयम से पैसे भेज सकते है तो इसकी क्या जरूरत हैं तो चलिए जानते है की ये ब्लॉकचेन क्या होता हैं कैसे काम करता हैं आदि कई चीज़े :-
ब्लॉकचेन क्या हैं ?
कंप्यूटर द्वारा संचालित एक ऐसी श्रृंखला जहाँ जानकारी को सहज कर रखा जाता है उसके ब्लॉकचेन कहते है और पहले ब्लॉक का हैश अगले ब्लॉक के साथ जोड़ दिया जाता हैं ताकि ये जानकारी क्रिप्ट ना की जा सके। ब्लॉकचेन एक टेक्नोलॉजी हैं जो एक इंडिविजुअल व्यक्ति को दूसरे इंडिविजुअल व्यक्ति तक पहुंचने में मदद करते हैं । उदाहरण के लिए जैसे एक व्यक्ति को दूसरे किसी देश में किसी व्यक्ति को पैसे भेजने है तो उसके लिए किसी तीसरे ट्रस्टेड व्यक्ति की जरुरत पड़ती है चाहे वो बैंक, वेस्टर्न यूनियन हो या फिर PayPal आदि और इस पुरे प्रोसेस में कुछ दिन का समय भी लगता है और पैसे भी लगते है लेकिन अगर हम ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की मदद से कोई भी व्यक्ति दुनिया भर में किसी को भी सीधा पैसे भेज सकते है और इसमें सिर्फ कुछ मिनटों का ही समय लगता हैं और ट्रांसक्शन फीस भी अन्य बैंक के मुताबिक बहुत कम होता है । ब्लॉकचेन पहली बार 2008 में सातोशी नाकामोतो नमक व्यक्ति ने इसका आविष्कार बिटकॉइन की सर्विस के लिए किया था। ब्लॉकचेन एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसके जरिये पैसा दुनिंया के किसी भी कोई में भेजने के लिए किसी भी बैंक या बिचोलिये की जरुरत नहीं हैं। शुरुवात में ब्लॉकचेन बिटकॉइन के लिए शुरू किया गया था लेकिन अब बहुत सारे कॉइन भी आ चुके हैं ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के लिए ।
सेंट्रलाइज्ड क्या है ?
इसमें जितनी भी जानकारी है वो अलग अलग सोर्सेज से आकर एक जगह स्टोर होती है और ये उस सोर्स पर निर्भर करता हैं की वो कितनी जानकारी बाजार में देना चाहते है कितनी नहीं और वह इन जानकारी को बदल भी सकता हैं और ये जानकारी देने वाले लोगो को रिवॉर्ड देना है यह रिवॉर्ड देने का काम भी वही करेगा उदाहरण के लिए जैसे हमारे जितने भी बैंक है वो कंट्रोल किये जाते है एक सेंट्रल सिस्टम द्वारा और वो सेंट्रल सिस्टम हैं रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया और यह सभी भारतीय बैंक पर निगरानी रखता है की सभी काम समय पर सही ढंग से किये जारे हैं या नहीं इसी और हर महीने रिपोर्ट लेता हैं इंस्ट्रक्शन देता हैं इसी सिस्टम को हम सेंट्रलाइज्ड सिस्टम कहते हैं ।
डिसेंट्रलाइज़्ड पीर तो पीर (Peer तो Peer) सिस्टम क्या हैं ?
डिसेंट्रलाइज़्ड सिस्टम सेन्टरलाइज़्ड सिस्टम के एकदम विपरीत होती हैं । इसमें कोई भी सेंट्रल बॉडी नहीं होती हैं जितने भी लोग काम करते है वो एक दूसरे के साथ जुड़े होते हैं और इसमें अगर कोई एक व्यक्ति काम करना बंद भी कर दे टी इससे कोई काम रुकता नहीं हैं।
ब्लॉकचेन कैसे काम करता हैं ?
ब्लॉकचेन के अंदर अलग अलग ब्लॉक होते है जो आपस में एक दूसरे के साथ जुड़े होते है और इन बॉक्सेस के अंदर हमारा डाटा स्टोर होता हैं और यह डाटा को इस तरह से सिक्योर करता हैं जिसे न तो कोई बदल सकता है और न ही डिलीट किया जा सकता हैं और जब हम ब्लॉक के अंदर डाटा स्टोर करते है तो ब्लॉक एक hash key जनरेट करता हैं और इस के की मदद से आप कभी भी अपना डाटा चैक कर सकते हैं । यह हैश की alphabet , numeric और symbol से मिल कर बना होता हैं । ब्लॉकचेन P2P नेटवर्क पर आधारित हैं यानि इसमें किसी भी प्रकार के लेनदेन के लिए किसी बिचोलिये की आवश्यकता नहीं होती । यह एक ओपन लेजर (Ledger) है यानि एक ऐसा रजिस्टर जिसमे हम अपने सारे चीज़ो को लिखित में रखते हैं जैसे बैंक अपने ट्रांसक्शन का डाटा लेजर में नोट करके रखते हैं वैसे ही यह भी एक लेजर है और यह एक ओपन लेजर है जो पब्लिक हैं यानि जो भी ब्लॉकचैन में होगा वो इसे देख सकता है। इसके नेटवर्क में जितने भी लोग रहते है उन सबको पता होता है की कौन किसको पैसे भेज रहा है और कितने पैसे भेज रहा हैं और इस नेटवर्क में सभी ये डिसाइड कर सकते हैं की ये लेनदेन वैलिड है या नहीं। ब्लॉकचैन का इस्तेमाल पहली बार 2008 में बिटकॉइन करेंसी के अविष्कार के लिए हुआ था। Bitcoin एक डिसेंट्रलाइज़्ड क्रिप्टोकोर्रेंसी है जो किसी भी देश या किसी भी बैंक के अधीन में नहीं हैं। अब धीरे धीरे इसका इस्तेमाल गवर्नमेंट और पब्लिक सेक्टर में करने के लिए रिसर्च किया जा रहा हैं ।
ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कहा किया जाता हैं ?
ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल आज के समय में सबसे ज्यादा क्रिप्टोकररेंसी के लिए किया जा रहा हैं । क्रिप्टोकररेंसी की ट्रांज़ैक्शन को ट्रांसपेरेंसी और सिक्योर बनाने के लिए ही इसका अविष्कार किया गया था। आज जितनी भी क्रिप्टोकररेंसी बाजार में मौजूद है वो सब ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी के आधार पर ही काम करती हैं उदाहरण के लिए जब हम कोई भी बिटकॉइन या क्रिप्टोकररेंसी आदि खरीदते हैं और उस करेंसी की जो भी ट्रांज़ैक्शन होती हैं जितने भी क्रिप्टोकररेंसी खरीदी है उसकी सारी डिटेल ब्लॉकचैन के बॉक्स में जा कर आटोमेटिक सिक्योर हो जाती हैं ।
ब्लॉकचैन कितना सिक्योर हैं ?
ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी सुरक्षा और विशवास के मुद्दों कके लिए कई हद तक जिम्मेदार हैं ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी के ब्लॉक में जब भी कोई डाटा स्टोर किया जाता हैं तो वह एक कंप्यूटर या एक सर्वर में स्टोर होने की बजाय हज़ारो कंप्यूटर में रहता हैं इसलिए ब्लॉकchain को हैक करना मुश्किल होता है और अगर कोई हैक करना भी चाहे तो उसे एक ही समय में उन हज़ारो कंप्यूटर को हैक करना होगा जोकि नामुमकिन हैं और इसी अनोखी टेक्नोलॉजी के वजह से ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी अपने आप में बहुत सुरक्षित टेक्नोलॉजी है।
ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी भविष्य में कैसे काम में ले जा सकती हैं ?
ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी को भविष्य में इसकी सिक्योरिटी की वजह से सभी जगहों में इस्तेमाल में लिया जा सकता हैं इसको बैंकिंग सेक्टर में इस्तेमाल किया जा सकता है , मेडिकल, मैनेजमेंट आदि जगहों पर इस्तेमाल में लिया जा सकता हैं खासकर यह आइडेंटिफिकेशन मैनेजमेंट में कारगर साबित हो सकता हैं जहा पर आज के समय में बहुत से फ्रॉड हो रहे हैं कोई भी बड़ी आसानी से किसी की भी आई डी चुरा कर डाटा चुरा लिया जाता हैं
ब्लॉकचैन में अकाउंट कैसे बनाये ?
- ब्लॉकचैन में अकाउंट बनाने के लिए सबसे पहले आपको इसकी वेबसाइट blockchain.com पर जाना होगा ।
- वेबसाइट ओपन होने के बाद आपको सबसे पहले create wallet पर क्लिक करना होगा।
- इसके बाद आपको 2 ऑप्शन दिखाई देंगे जिसमे से आपको पहले ऑप्शन Create a bitcoin पर क्लिक करना होगा।
- फिर आपके सामने एक पेज ओपन होगा जिसमे आपको अपना जीमेल आईडी और पासवर्ड डालना होगा और terms and conditions को allow करके create my wallet पर क्लिक करना हैं। ध्यान रखें की अगर आप रखा हुआ पासवर्ड भूल जाते है तो आप इसको रिसेट नहीं कर सकते। इसके लिए एक backup phrase होता है जिसको आपको संभल कर रखना होता है और ये 12 अंको का होता हैं।
- अकाउंट क्रिएट होने के बाद खुद ही लॉगिन हो जाएंगे इसके बाद आपके जीमेल में एक मेल आएगी जिस पर क्लिक करके आपको अपना अकाउंट वेरीफाई करना होगा ।
- अगर आपको अपने अकाउंट से सम्बंधित कोई भी बदलाव करना चाहते है तो आप सिक्योरिटी सेटिंग में क्लिक करके बदल सकते हैं।
- इसके बाद आपको continue पर क्लिक करने के बाद आपकी वॉलेट आईडी बन जाएंगी ।