टेक न्यूज़टेक्नोलॉजीब्लॉगब्लॉग्गिंग

सस्टेनेबल मटेरियल मैनेजमेंट (एसएमएम) | सतत सामग्री प्रबंधन क्या है?

एसएमएम (सस्टेनेबल मैटेरियल्स मैनेजमेंट) | Sustainable materials management (SMM) एक प्रबंधन दृष्टिकोण है जो पर्यावरणीय, सामाजिक, और आर्थिक मानकों को पूरा करते हुए सस्टेनेबल यानी स्थायी और दुर्ध्वन्द्वी पदार्थों के विकास, उपयोग, और नियंत्रण को प्रबंधित करने पर ध्यान केंद्रित करता है। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए संसाधनों का उपयोग करना और उनका पुनर्चक्रण करना है, जिससे विश्वासित मानकों के साथ उत्पादन और उपयोग के क्षेत्र में सुस्थिति बढ़ाती है।

एसएमएम विभिन्न क्षेत्रों में मैटेरियल्स के प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए उपयोगी होता है, जैसे कि निर्माण, निर्माण, उपयोगिता विज्ञान, उपकरण, विनिर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स, और ऊर्जा। यह विभिन्न चरणों में मैटेरियल्स का चयन, उपयोग, नवीनीकरण, और निपटान करने के लिए विभिन्न नीतिगत, तकनीकी, और आर्थिक उपायों का अध्ययन करता है।

एसएमएम विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रबंधन, और नीति निर्माण के तत्वों को संगठित करता है ताकि सस्टेनेबल और सामरिक फायदे के साथ मैटेरियल्स का प्रबंधन संभव हो सके। एसएमएम के माध्यम से, नवीनतम और प्रभावी तकनीकी और प्रबंधन उपाय विकसित किए जाते हैं ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सके, प्रदूषण को कम किया जा सके, और उत्पादों के पूरे जीवसंचार चक्र को विचारशील और संवेदनशील बनाया जा सके।

समर्थकों का कहना है कि एसएमएम संभावित आर्थिक, सामाजिक, और पर्यावरणीय लाभों के साथ मैटेरियल्स के प्रबंधन को सुदृढ़ करने में मदद कर सकता है और सस्टेनेबल विकास की ओर एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

अप्रत्यक्ष सामग्री और प्रत्यक्ष सामग्री

अप्रत्यक्ष सामग्री (Indirect Materials) और प्रत्यक्ष सामग्री (Direct Materials) व्यापारिक मानक हैं जो विभिन्न व्यापारिक प्रक्रियाओं और लेनदेनों में उपयोग होते हैं। ये दोनों ही प्रकार की सामग्री उत्पादन और विनिर्माण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण हैं।

अप्रत्यक्ष सामग्री (Indirect Materials): अप्रत्यक्ष सामग्री वह सामग्री होती है जो उत्पादन प्रक्रिया में सीधे उपयोगिता नहीं होती है, लेकिन यह प्रक्रियाओं को संचालित करने, समर्थन करने या संभालने के लिए आवश्यक होती है। इसमें कंपनी की व्यवस्था, दफ्तरी सामग्री, सामग्री के संचालन और संचालन के लिए उपयोगी वस्त्र, सामग्री के पैकेजिंग आदि शामिल हो सकते हैं। ये सामग्री उत्पादन प्रक्रिया में नहीं शामिल होती हैं, लेकिन व्यापारिक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक होती हैं।

प्रत्यक्ष सामग्री (Direct Materials): प्रत्यक्ष सामग्री वह सामग्री होती है जो उत्पादन प्रक्रिया में सीधे उपयोग में लाई जाती है। ये सामग्री उत्पाद के निर्माण में सीधे शामिल होती हैं और उत्पादन की मुख्य घटक होती हैं। इसमें उत्पाद के निर्माण के लिए उपयोगी वस्तुएं, सामग्री, घटक, औद्योगिक उपकरण, उपयोगी राष्ट्रीय सामग्री आदि शामिल हो सकती हैं।

इन दोनों प्रकार की सामग्री का प्रबंधन व्यापारिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण होता है और एक संतुलित और अच्छी व्यवस्था सुनिश्चित करने में मदद करता है।

सामग्री प्रबंधन प्रक्रिया

सामग्री प्रबंधन प्रक्रिया कंपनी या संगठन में सामग्री के आदान-प्रदान, निर्माण, व्यय, और नियंत्रण को संगठित करने के लिए निर्धारित नीतियों, प्रक्रियाओं, और उपायों का एक व्यवस्थित माध्यम है। यह प्रक्रिया उचित सामग्री की आपूर्ति, उपयोग, और नियंत्रण को सुनिश्चित करके कंपनी के उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावी और निरंतर बनाती है।

सामग्री प्रबंधन प्रक्रिया में निम्नलिखित चरणों को शामिल किया जाता है:

  1. आपूर्ति योजना: यह चरण आपूर्ति की आवश्यकताओं का विश्लेषण करता है और आपूर्ति योजना बनाने के लिए उपयुक्त सामग्री की आपूर्ति को निर्धारित करता है। यह आपूर्ति श्रृंखला, आदेश प्रक्रिया, आपूर्ति विवरण, और विपणन तंत्र जैसे पहलुओं को सम्मिलित करता है।
  1. सामग्री खरीद: यह चरण सामग्री की खरीद, आपूर्ति ऑर्डर का निर्माण, विपणन, और विपणन अद्यतन को सम्मिलित करता है। यह आपूर्ति ऑर्डर, विक्रय आदेश, गुणवत्ता नियंत्रण, और मूल्य निर्धारण जैसे पहलुओं को शामिल करता है।
  1. ग्राहकीय सेवा: इस चरण में, सामग्री की प्राप्ति, संग्रहण, गुणवत्ता नियंत्रण, संग्रह, और ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए प्रक्रियाएं संचालित की जाती हैं। यह सामग्री का संग्रहण, गुणवत्ता का मूल्यांकन, संग्रह, और ग्राहकों के लिए आपूर्ति को संचालित करने जैसे पहलुओं को सम्मिलित करता है।
  1. सामग्री का उपयोग: इस चरण में, सामग्री का उपयोग उत्पादन प्रक्रिया में होता है। सामग्री का संचालन, उत्पादन प्रक्रिया में शामिल होने के लिए सही समय पर उपलब्ध होना, गुणवत्ता का नियंत्रण, और उपयोग की विनियमितता जैसे पहलुओं को सम्मिलित करता है।
  1. सामग्री का नियंत्रण: इस चरण में, सामग्री के उपयोग की निगरानी और नियंत्रण किया जाता है। इसमें इन्वेंटरी नियंत्रण, गुणवत्ता नियंत्रण, बरामदे का प्रबंधन, और अप्रयोग या अप्रचलित सामग्री का नियंत्रण जैसे पहलुओं को सम्मिलित करता है।

सामग्री प्रबंधन प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य सही समय पर सही स्थान पर सही मात्रा में सामग्री को उपलब्ध कराना होता है, जिससे उत्पादन कार्य को सुचारू रूप से संचालित किया जा सके और व्यय को कम किया जा सके। सामग्री प्रबंधन प्रक्रिया आपूर्ति श्रृंखला में सुविधा, कार्यक्षमता, और लाभ को बढ़ाती है और व्यापारिक प्रक्रियाओं की प्रभावी चाल को सुनिश्चित करती है।

सामग्री प्रबंधन के लाभ

सामग्री प्रबंधन के कई लाभ होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

  1. आपूर्ति की सुनिश्चितता: सामग्री प्रबंधन के माध्यम से, आप आपूर्ति की सुनिश्चितता को सुनिश्चित कर सकते हैं। यह आपको उत्पादन प्रक्रिया में अवरुद्धि के चलते सामग्री की कमी से बचाता है और उचित स्तर पर सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करता है।
  1. कार्यक्षमता की वृद्धि: सामग्री प्रबंधन आपको सामग्री के सही संग्रह, संग्रहण, और उपयोग की व्यवस्था करने में मदद करता है। इससे कार्यक्षमता में सुधार होता है, क्योंकि समय और संसाधन की बचत होती है और प्रक्रियाएं सुचारू रूप से संचालित होती हैं।
  1. व्यय कमी: सामग्री प्रबंधन के माध्यम से, आप अप्रयोग या अप्रचलित सामग्री की कमी कर सकते हैं, जिससे व्यय कम होता है। इससे कंपनी को बाजार मूल्य का नुकसान नहीं होता है और संचालन में बचत होती है।
  1. गुणवत्ता का नियंत्रण: सामग्री प्रबंधन के माध्यम से, आप गुणवत्ता के मानकों को पूरा करने के लिए सामग्री की गुणवत्ता को नियंत्रित कर सकते हैं। यह उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करता है और ग्राहकों की संतुष्टि को बढ़ाता है।
  1. आपूर्ति श्रृंखला के प्रभावी नियंत्रण: सामग्री प्रबंधन आपको आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावी रूप से नियंत्रित करने में मदद करता है। यह सामग्री की संचालन और आपूर्ति की उपलब्धता को बेहतर ढंग से संचालित करता है, जिससे आप प्रोडक्टिविटी को बढ़ा सकते हैं और कंपनी को मार्केट के तारों के अनुसार आगे बढ़ने में मदद मिलती है।

इन सभी लाभों के माध्यम से, सामग्री प्रबंधन कंपनी को उत्पादकता, कार्यक्षमता, गुणवत्ता, और आपूर्ति के क्षेत्र में लाभ प्रदान करता है और उचित संचालन और व्यापारिक प्रक्रियाओं की सुनिश्चितता को सुनिश्चित करता है।

 

आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में सामग्री प्रबंधन

आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में सामग्री प्रबंधन एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह आपूर्ति श्रृंखला के सभी स्तरों पर सामग्री की प्रबंधन को संगठित करता है, जिससे उचित समय पर उचित स्थान पर उचित मात्रा में सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। यह सामग्री की संचालन, नियंत्रण, और संग्रहण के लिए प्रक्रियाओं, नीतियों, और तकनीकों का उपयोग करता है।

सामग्री प्रबंधन आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के निम्नलिखित पहलुओं को सम्मिलित करता है:

  1. आपूर्ति योजना: सामग्री प्रबंधन की पहली कदम होती है आपूर्ति योजना का तैयारी करना। इसमें विभिन्न प्राथमिकताओं को ध्यान में रखकर सामग्री की मांग का अनुमान लगाना और आपूर्ति की योजना बनाना शामिल होता है।
  1. सामग्री की खरीद: आपूर्ति योजना के आधार पर, सामग्री की खरीद की जाती है। सामग्री के निर्धारित मात्रा, गुणवत्ता मानकों को पूरा करने वाले आपूर्तिकर्ताओं से संपर्क किया जाता है और सामग्री की खरीद प्रक्रिया को प्रबंधित किया जाता है।
  1. सामग्री की प्राप्ति: सामग्री की खरीद के बाद, उसे सही समय पर सही स्थान पर प्राप्त किया जाता है। इसमें गोदामों की संचालन, लोजिस्टिक्स, और परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रक्रियाएं शामिल होती हैं।
  1. सामग्री की संग्रहण: सामग्री की प्राप्ति के बाद, उसे संग्रहण किया जाता है और उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जाता है। इसमें सामग्री की पहचान, लेबलिंग, और गुणवत्ता की जांच शामिल होती है।
  1. सामग्री का उपयोग: सामग्री की संग्रहण के बाद, उसे उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जाता है। यह सामग्री का सही स्थान पर सही समय पर उपयोग सुनिश्चित करता है, ताकि उत्पादन प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके।

सामग्री प्रबंधन उचित सामग्री के संचालन, नियंत्रण, और उपयोग के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखला को सुचारू रूप से संचालित करने में मदद करता है। यह व्यापारिक प्रक्रियाओं की प्रभावी चाल को सुनिश्चित करता है, विपणन की आवश्यकताओं को पूरा करता है, और उत्पादकता और मार्जिन को बढ़ाता है।

 

एसएमएम पर सतत सामग्री खरीद का प्रभाव

एसएमएम (सस्टेनेबल मैटेरियल्स मैनेजमेंट) पर सतत सामग्री की खरीद का प्रभाव काफी महत्वपूर्ण होता है। यह प्रभाव इस प्रकार होता है:

  1. वित्तीय स्थायित्व: सतत सामग्री की खरीद करने से, आपको आपूर्ति श्रृंखला के दौरान वित्तीय स्थायित्व प्राप्त होता है। यह आपको वित्तीय ब्याज और मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने में मदद करता है और आपके व्यापारिक संबंधों को स्थिर रखता है।
  1. आपूर्ति सुनिश्चितता: सतत सामग्री की खरीद से, आप आपूर्ति की सुनिश्चितता को सुनिश्चित कर सकते हैं। यह आपको उत्पादन प्रक्रिया में कोई आपूर्ति की कमी के चलते होने वाली अवरुद्धि से बचाता है और उचित स्तर पर सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करता है।
  1. कार्यक्षमता और उत्पादकता: सतत सामग्री की खरीद से, कार्यक्षमता और उत्पादकता में सुधार होता है। आपके पास सतत सामग्री की आपूर्ति होने से, उत्पादन प्रक्रिया विघटने या अवरुद्ध होने के कारण रुकावट का सामना नहीं करती है, जिससे आपकी कार्यक्षमता बढ़ती है और उत्पादकता को बढ़ाता है।
  1. ग्राहक संतुष्टि: सतत सामग्री की खरीद करने से, आप ग्राहकों की संतुष्टि को सुनिश्चित कर सकते हैं। यदि आप अपने ग्राहकों को सतत और सही सामग्री प्रदान करते हैं, तो उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता में सुधार होता है और वे आपके व्यापार के साथ संतुष्ट रहते हैं। इससे ग्राहकों का विश्वास बना रहता है और उनकी उपभोग्यता बढ़ती है।

इस प्रकार, सतत सामग्री की खरीद का प्रभाव एसएमएम में विभिन्न पहलुओं पर होता है और उत्पादकता, आपूर्ति सुनिश्चितता, और ग्राहक संतुष्टि में सुधार प्रदान करता है।

एसएमएम पर सर्कुलर इकोनॉमी रणनीतियों का प्रभाव

एसएमएम (सस्टेनेबल मैटेरियल्स मैनेजमेंट) पर सर्कुलर इकोनॉमी रणनीतियों का प्रभाव काफी महत्वपूर्ण होता है। सर्कुलर इकोनॉमी रणनीतियां प्रदूषण कम करने, संसाधनों का पुनर्चक्रण करने, और पर्यावरणीय सततता को संवारने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए डिजाइन की जाती हैं। इसका एसएमएम पर निम्नलिखित प्रभाव हो सकता है:

  1. सामग्री का पुनर्चक्रण: सर्कुलर इकोनॉमी के माध्यम से, सामग्री के पुनर्चक्रण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया जाता है। इसका परिणामस्वरूप, उपयोग या उपयोग के बाद सामग्री को नया उत्पाद बनाने के लिए पुनर्चक्रण किया जा सकता है। यह सामग्री के उपयोग की अवधि बढ़ाता है और खपत को कम करता है, जिससे संसाधनों का बचाव होता है।
  1. सामग्री की उपयोगिता बढ़ाना: सर्कुलर इकोनॉमी रणनीतियां सामग्री की उपयोगिता को बढ़ाने का ध्यान देती हैं। इसके लिए, उत्पादों के डिजाइन में परिवर्तन किए जाते हैं ताकि उन्हें आसानी से पुनर्चक्रण किया जा सके और वे लंबे समय तक उपयोगी रह सकें। इससे उत्पादों की जीवनकाल बढ़ती है और उपयोग के बाद भी उनकी मान्यता बनी रहती है।
  1. अपशिष्ट सामग्री का प्रबंधन: सर्कुलर इकोनॉमी के तत्वों को अपनाने से, अपशिष्ट सामग्री के प्रबंधन में सुधार होता है। इसके अंतर्गत, अपशिष्ट सामग्री को संग्रहित, पुनर्चक्रण या उपयोग के लिए उपयोग किया जा सकता है। यह प्रक्रिया सामग्री के अपशिष्ट भाग को लांघने से बचाती है और इसे संसाधन के रूप में फिर से उपयोगी बनाती है।
  1. प्रदूषण कमी: सर्कुलर इकोनॉमी रणनीतियां प्रदूषण को कम करने का लक्ष्य रखती हैं। यह सामग्री के पुनर्चक्रण के माध्यम से प्रदूषण कम करती है और अपशिष्ट सामग्री के गैसेज, तत्वों, या खराबी उत्पन्न करने वाले प्रदूषकों को नष्ट करने में मदद करती है। इससे पर्यावरणीय सततता को संरक्षित रखने में मदद मिलती है।

इस प्रकार, सर्कुलर इकोनॉमी रणनीतियों का एसएमएम पर सामग्री प्रबंधन पर व्यापक प्रभाव होता है। इन रणनीतियों के माध्यम से सामग्री का पुनर्चक्रण होता है, सामग्री की उपयोगिता बढ़ती है, अपशिष्ट सामग्री का प्रबंधन होता है, और प्रदूषण कम होता है। ये सभी प्रभाव सामग्री प्रबंधन को एक सतत, पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टिकोण से अधिक उच्चतम स्तर पर ले जाते हैं। 

Neha Rai

नेहा राय TechBlogHindi.com की संस्थापक - संपादक हैं। वह एक टेक कंटेंट स्पेशलिस्ट, और प्रो कंटेंट मार्केटर हैं। जब अपने वर्कस्टेशन पर नहीं होती है , तो वह अपने फोन पर Tech News & Google को लास्ट तक स्क्रॉल करते हुए पायी जा सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *